चैत्र शुक्ल प्रतिपदा मार्च के महीने में मनाई जाती है। जीवन की रीढ़ कृषि व प्राणों की रक्षा के लिए इन दोनों ही ऋतुओं वाले इस महीने में लहलहाती हुई फसलें खेत-खलिहान में आ जाती हैं। माना जाता है कि इन फसलों के रखरखाव व कीट पंतगों से रक्षा के लिए परिवार को सुखी व समृद्ध बनाने तथा कष्टों, दुःख-दरिद्रता से छुटकारा पाने के लिए सभी वर्ग के लोग इस महीने के नौ दिनों तक विशेष सफाई तथा पवित्रता को महत्व देते हुए नौ देवियों की आराधना, हवन आदि यज्ञ क्रियाएं करते हैं। इसके अलावा मां की आराधना को सफल बनाने के लिए भक्ति इन नौ दिनों का व्रत भी करते हैं। यज्ञ क्रियाओं की मदद से दोबारा वर्षा होती है जो धन, धान्य से परिपूर्ण करती है।|