कार्तिक मास का इतना माहात्म्य क्यों?

कार्तिक मास का इतना माहात्म्य क्यों?

 

कार्तिक मास का इतना माहात्म्य क्यों?

कार्तिक मास को दामोदर मास भी कहा जाता है जो की भगवन श्री कृष्ण की लीलाओं से भरा पड़ा है| इस मास में भगवान ने बहुत सारी लीलाएँ की हैं_....जो इस प्रकार हैं...

 

1.शरद पूर्णिमा -

इस दिन भगवान कृष्ण ने राधरानी और गोपियों के साथ रास किया था। शरद पूर्णिमा की रात्रि से ही कार्तिक मास शुरू हुआ था।

 

2.बहुलाष्टमी -

यह दिन राधाकुण्ड, श्यामकुण्ड के आविर्भाव का स्मरण उत्सव है। इसी दिन कृष्ण और राधारानी ने श्यामकुंड, राधाकुंड का निर्माण किया था।

 

3.रमा एकादशी -

रमा एकादशी का व्रत दशमी की संध्या से ही आरंभ हो जाता है। दशमी के दिन सूर्यास्त से पहले ही भोजन ग्रहण कर लेना चाहिये। इसके बाद एकादशी के दिन प्रात: काल उठकर स्नानादि कर स्वच्छ होना चाहिये। इस दिन भगवान विष्णु के पूर्णावतार भगवान श्री कृष्ण की विधिवत धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्प एवं फलों से पूजा की जाती है। इस दिन तुलसी पूजन करना भी शुभ माना जाता है। इस दिन पूरी श्रद्धा एवं भक्ति से किये उपवास पुण्य चिरस्थायी होता है और भगवान भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

 

4.धनतेरस -

इस दिन धन्वतंरी भगवान अमृत ओर आयुर्वेद की ओषधियों के साथ प्रकट हुए थे।

 

5.नरकाचतुर्दशी -

इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था|

 

6.दामोदर लीला -

इसी मास में दिवाली के दिन मैया यशोदा ने भगवान कृष्ण को उखल से बांधा था जिससे उनका नाम दामोदर पड़ा अर्थात जिनका उदर(पेट) दाम (रस्सी) से बंध गया  और इसिलिए कार्तिक मास का नाम _*दामोदर मास* पड़ा ।

 

7.दिवाली -

भगवान राम 14 वर्ष के वनवास से अयोध्या लौटे।सभी अयोध्यावासियों ने दीपक जलाये जिसे दीपावली के रूप में आज भी हम मानते हैं।

 

8.गोवर्धन पूजा -

दिवाली के पश्चात गोवर्धन पूजा की जाती है। भगवान कृष्ण ने अपनी बाएं हाथ की कनिष्ठ उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाया था| इस दिन भगवान को 56 भोग लगाये जाते हैं।

 

 9.गोपष्टमी -

भगवान कृष्ण ने गाय चराना शुरू किया।

 

10.उत्थान एकादशी -

(देवउठनी एकादशी) - इस दिन 4 महीनो बाद भगवान उठते हैं। इसलिए इस एकादशी को देवउठनी एकादशी कहते हैं ।

 

11.तुलसी विवाह -

भगवान कृष्ण और तुलसी महारानी का विवाह होता हैं ।

     

 कार्तिक मास में भगवान कृष्ण को संध्या के समय दीपक अर्पण करने का विशेष महत्व है

*पद्म पुराण* में कहा गया है....

"कार्तिक मास में मात्र एक दीपक अर्पित करने से भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं |भगवान कृष्ण ऐसे व्यक्ति का भी गुणगान करते हैं जो दीपक जलाकर अन्यों को अर्पित करने के लिए देते हैं ।"

 

 *स्कंदपुराण के अनुसार*

मासानां कार्तिकः श्रेष्ठो देवानां मधुसूदनः।
तीर्थ नारायणाख्यं हि त्रितयं दुर्लभं कलौ।

 

अर्थात्‌ भगवान विष्णु एवं विष्णुतीर्थ के सदृश ही कार्तिक मास को श्रेष्ठ और दुर्लभ कहा गया है।

प. नरेन्द्र मिश्र

 

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